भगत रामानंद जी ब्राह्मण कुल मैं जन्म
भगत रामानंद जी ब्राह्मण कुल मैं जन्मे और वो संत हुए जिनकी बाणी को गुरुनानक देव जी ने दर्ज करी गुरुग्रंथ साहिब मैं उनके अनुसार सृष्टि करता वाहेगुरु एक है वो उसकी कृपा से ही मिलता है उन्हे ये अहसास हुआ कि मैं कहा जाऊ मेरे घर मतलब हिरदे मैं ही उसकी खुशी है मेरा मन अब कही भटकता नही है मन लंगड़ा हो गया है एक दिन मन मैं उमंग पैदा हुई की चंदन की लकड़ी और बहुत सुगंधी लगा और प्रभु की उपासना करने उसके स्थान (मंदिर) चल पड़ा पर उसने अहसास कराया और मेरे चित मैं ही दर्शन दे दिए जहा भी जाता हु पानी और पत्थर के ही देखता हु पर प्रभु सारी वस्तुओ मैं एक समान समाया हुआ है
वेद पुराण सब खोज लिए पर
वहा तब जाऊ जब यहां प्रभु न हो मेरे ईश्वर मैं तुझ पर कुर्बान हु जिन्होंने मेरे व्याकुलता और संदेह मिटा दिये