ब्रिटिश राज मैं भारतीय और अंग्रेज कर्मचारी
कहा जाता है कि ब्रिटिश शासन के दौरान सरकारी कर्मचारी हड़ताल पर चले गए थे, उपायुक्त ने आकर इसका कारण पूछा, तो जवाब मिला कि हमारे वेतन और अंग्रेजों के वेतन में बहुत बड़ा अंतर है। उपायुक्त गोरे थे, उन्होंने ध्यान से सुना और एक परिचित को बुलाया, उसे 10 रुपये दिए और फिर एक अंग्रेज कर्मचारी को बुलाकर 10 रुपये दिए, दोनों को कहा कि मेरे साथ दोपहर का भोजन करके लौट आओ। अंग्रेज एक अच्छे होटल में गया, अच्छा भोजन किया, बधिर को टिप दी और लौटकर 1 रुपया उपायुक्त को दिया। देशी नौकर ने बाजार जाकर चार आने के चने खाए और बाकी के 9 रुपये 75 पैसे उपायुक्त को लौटा दिए। उपायुक्त ने हड़ताली कर्मचारियों के सामने दोनों की रिपोर्ट रखी और कहा कि अब आप समझ गए होंगे कि वेतन में अंतर क्यों है? सोच में फर्क है !! सोच आज भी नहीं बदली, बस चलती ही जा रही है, पोतों को जोड़ रहे हैं, बचत उनके लिए कर रहे हैं, जो फिर कभी याद नहीं आएंगे, हम काम उनके लिए कर रहे हैं, जिनकी कदर नहीं होगी, हमें अपने लिए जीना चाहिए। भूल भी गए
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