रब दी इबादत ते जीवन

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एक मुस्लिम महिला है जिसका नाम इतिहास में राबिया या रहबा से आता है, उसकी बहुत प्यारी और मधुर आवाज थी। वह अपने घर पर कुरान शरीफ की आयतें पढ़ती थी। इसकी आवाज इतनी सुरीली थी कि जिसने भी इसकी आवाज सुनी वह इसकी ओर खिंचा चला गया। जब संगत बड़ी संख्या में आने लगी तो रहबा ने समाम का समय रखा जब कुरान शरीफ पढ़ी जाए। रहबा रोज शाम को बेहद सुरीली आवाज में कुरान शरीफ की आयतें पढ़ने लगे। एक दिन शाम को जब क़ुरआन पढ़ने का समय हुआ तो रहबा घर के आँगन में कुछ ढूँढ़ने लगी। जब कुछ लोग आए तो उन्होंने रहबा से पूछा कि क्या खो गया तो रहबा कहने लगी कि सुई खो गई है, वे सब अपने साथ सुई ढूंढ़ने लगे। और भी लोग आए, जब आंगन भर गया, तो सबको पता चला, कुछ पंडितों ने पूछा, “आह, क्या तुम सुई नहीं ढूंढ़ना चाहते हो?” तुम बताओ सुई कहां गिरी, रहबा ने कहा, सुई तो भीतर गिरी। यह सुनकर सभी हंसने लगे और कहने लगे कि सुई अंदर गिरी है और बाहर मिल रही है। रहबा कहने लगी कि अंदर बहुत अंधेरा है, बाहर कुछ उजाला था, तो वह बाहर निकली और खोजने लगी। सब कहने लगे कि जहां चीजें मिलती हैं वहां ऐसा नहीं होता, भीतर अंधेरा हो तो भीतर आग जलाने से सब कुछ दिखाई देने लगता है। रहबा कहने लगे कि क्या तुम्हें यह समझ है कि जहां कुछ होता है, वहीं मिल जाता है। तो तुम बाहर क्या खोज रहे हो, ईश्वर तो भीतर है और अँधेरे में दिखाई नहीं देता, तो क्यों न तुम भीतर प्रकाश चमका कर उस ईश्वर को खोजने का प्रयत्न करो। सब लोग बहुत लज्जित हुए और कहने लगे रहबा, अच्छे चरित्र वाले बनो, सबकी मदद करो, उस सच्चे भगवान को हमेशा अपने मन में रखो। जब उनका नाम जपने से भीतर प्रकाश होगा, तब अपने भीतर परमात्मा विराजमान दिखाई पड़ेगा। जोरावर सिंह तारसिक्का।

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