वो समय और राजस्थान का शेर
*जेल की काल-कोठरी की सांकल बजी और बाहर से सन्नाटे को चीरती संतरी की आवाज़ आई “तेजिंदर पाल सिंह टिम्मा सुरजीत सिंह” $ ह्नजी $ अंदर से जवाब दिया। चिट्ठी आई है तुम्हारी। मध्यम सी रोशनी वाली* *काल-कोठरियों में कंठस्थ गुरबाणी और ख्यालों के ताना-बाना के साथ बस बाहर की दुनिया से जोड़ने के लिए चिट्ठियां ही एकमात्र सहारा होती थी।गेट के नीचे से सरक कर चिठ्ठी अंदर आई। चिट्ठी के बाहर एड्रेस पर लिखी लिखावट से ही पहचान गया कि बड़े भाई गुरमीत सिंह की चिट्ठी है। चिट्ठी देखते ही उसमें लिखे शब्दों पर आँसुयों के धब्बे स्पष्ट बयान कर रहे थे कि ये सिर्फ आँसुयों से भीगे शब्द नही बल्कि भावनायों का समुंदर है। जो अपनी कहानी खुद कह रहा है। वो बहुत मुश्किल समय था जब एक भाई की शादी हो और दूसरा भाई जेल की काल कोठरी में बंद उम्र कैद और फांसी के रस्से के बीच झूल रहा हो। ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद मैं जोधपुर जेल में बंद था बहुत बड़ा केस था और हम सभी मानसिक तौर पर तैयार थे अपने अंजाम के लिए।और अंजाम फांसी और उम्रकैद कन्फ़र्म था सो बेफिक्र थे कौमी कार्य के लिए यही हमारा गौरवमयी विरसा है। पर इस बीच बड़े भाई गुरमीत की शादी थी। परिवार के लिए ये शादी सिर्फ एक रस्म माफिक थी जिसमे कोई खुशी भी नही और गम भी नही।गुरमीत वीर के लिखे शब्द खुद ब खुद बोल रहे थे कि वो शरीरक तौर पर चाहे अपनी शादी में था पर मानसिक तौर पर वो मेरे साथ एक मजबूत स्तंभ के माफिक खड़ा था। मैंने जवाबी चिट्ठी में दिलासा दिया कि कोई ना वीर अपने रवि वीर राणा वीर की शादी में अपने सभी चाव पूरे करेंगे। पर संघर्षों के भी अजीब किस्से होते है बड़े भाई गुरमीत की शादी के पांच साल बाद जेल से रिहा हुआ। फिर दूसरे भाई रविराज सिंह की शादी की तैयारी शुरू की और एक एक्सीडेंट में वो विछोड़ा दे गया। फिर तीसरे भाई परमिंदर सिंह राणा की शादी रखी यहां भी संघर्षों का अपना ही अंदाज़ रहा। केंद्र सरकार की सिख नस्लकुशी के खिलाफ मैं फिर अजमेर जेल में बंद कर दिया और राणा वीर की शादी हो गई। भाई की शादी पर जेल में उत्सव मनाया हंसते खेलते मजाक शुरू हो गया कि कोई ना सरकारे जो ज़ोर लगाना है लगा लै आपणे विआह ते असीं जरूर बाहर होवांगे।चाहे ओह दुनियावी विआह होवे चाहे लाड़ी मौत नाल*।
*गुरमीत वीर सदीवी विछोड़ा दे गया। बचपन से लेकर ज़िंदगी की बहार तक का सफर और विशेषकर संघर्षों के सफर में वीर गुरमीत से लेकर परिवार का हर पल चलचित्र की तरह आंखों के सामने घूमने लग गया। वीर चला गया पर उसका प्यार,स्नेह और संघर्षों में सिर्फ साथ ही नही बल्कि जुर्रत और दिलेरी के साथ खड़े होना हमेशां हमेशां याद रहेगा*।
*आज 2 मार्च वीरवार को दोपहर 12 से 1 बजे वीर गुरमीत सिंह की अंतिम अरदास गुरद्वारा बाबा दीप सिंह जी शहीद श्री गंगा नगर में सम्पन्न होगी*।
*बस यही रब की रज़ा थी और इतना ही साथ था—तेजिंदर पाल सिंह टिम्मा की कलम से
सिख न्यूज इंटरनेशनल