देश का बादशाह दीन दुनिया का पातशाह
दस्तार व किरदार समझ लेना
आगे कर दोगे तो प्रचार समझ लेना
जहागीर बादशाह अपने दोस्त के घर जाता है रात को खाना परोसते दोस्त की पत्नी को देखता है जो बहुत खुबसुरत थी
सोचता है कि उसके अहिलकार के पास इसका क्या काम
वो दोस्त को मरवा देता है
ओर उ़सकी पत्नी से निकाह कर लेता है
उसकी पत्नी का नाम मेहर निजामुद्दीन था
जो बाद मे नुरजहा के नाम से इतिहास मे जानी गई
दस्तार जहांगीर ने भी पहनी थी
दस्तार गुरु हर गोबिंद साहिब ने भी पहनी
पर फर्क सिर्फ दस्तार के पीछे छुपे किरदार का था
अब समय बदला
जहागीर अपनी पत्नी के साथ कशमीर मे है
गुरु हरगोबिंद साहिब भी वहा ठहरे थे
जहागीर शालीमार बाग मे है उसीके सामने गुरु हरगोविन्द साहिब महाराज निशांत बाग मे ठहरे है
एक दिन नुरजहा ने जहागीर से कहा कि आप से मिलने कोई नही आता पर सामने इस गुरु से मिलने वालो की भीड लगी रहती है
जहागीर ने बहुत खुबसुरत जवाब दिया
कि मे देश का बादशाह हु
ये दीन दुनी का पातशाह है
तो नरजहा ने कहा कि मै इनसे मिलने जाउंगी
बहुत सुंदर क्षंगार किया जो लंहगा पहना वो दस्तगारी के कारण इतना भारी हो गया कि उसको उठाने के लिये बाईस कन्नीजो ने हाथ मे पकड रखा था
दरबार मे पहुची तो सामने लगभग हमउम्र पातशाह विराजमान थे
पातशाह ने देखा तो कपडों पर ध्यान दिया तो कहा
“ऐसा साच क्षृगार कर
पुञी पाये खुदाये “
बेटी जितना क्षंगार तुन्हे दुनिया को खुश करने पर किया है उतना ध्यान उस मालिक पर लगाती है
नुरजहा एक दम से टुट गई
ओर बोली
हे पातशाह
आप शारीरक रुप से(गुरु साहिब का कद सात फुट चार इंच वजन सवा सो किलो था )
सुंदरता मे
रुप मे हर चीज मे बहुत आगे है
संसार की हर चीज आपके पांव मे है पर आपके मन मे विकार नही आये
क्यो
गुरु साहिब का किरदार से निकला जवाब देखना
कि बेटी (जबकि नुरजहा हम उम्र थी )मै खुदा की मौज मे मोत को याद रखता हु बस यही मेरे किरदार तो उंचा रखता है
सो दस्तार मे बसे किरदार को आज भी ढुंढो ओर उसका सम्मान करो
दस्तार मे किरदार
किरदार दिखे तो नमस्कार
पर संसार के कितने ही शहरो मे दस्तार आतंकी मानी गई
ओर किरदार वाला दस्तार पहने भी शक के घेरे मे आ गया
सो किरदार दसतार की इज्जत बचाता आया है
दस्तार जहागीर ने पहनी
ओर गुरु ने भी
पढ लिया तो अपने बच्चो को भी पढ़वा देना
ताकि
राजोरी ना बन सके दोबारा