गुर नानक का सिख
लुकमान और खलील दो दार्शनिक हुए, एक लेबनान से और दूसरा ग्रीस से। दोनों ने एक ही कहानी लिखी है। जैसे भारत में 50 धार्मिक कहानियों की किताब है, वैसे ही उन्होंने ये कहानियां लिखीं।
एक अंधा आदमी रात को एक गांव से दूसरे गांव जाने लगा।पड़ोसी ने लालटेन पकड़ी, अंधेरी रात थी, गांव दो मील दूर था, पगडंडी चलनी थी, कुछ दिखाई नहीं दे रहा था।क्या तर्क था? लॉजिक ये था कि जब आपके हाथ में लालटेन होगी तो कोई आपसे नहीं टकराएगा अगर आप नहीं दिखे तो कोई आपसे टकरा सकता है, लॉजिक सही था.
थोड़ी देर चर्चा चलती रही और कोई टकरा गया, बहुत बुरी तरह टकरा गया। वह कहता है, “मेरे हाथ में लालटेन थी, फिर भी तुम मुझसे टकरा गए।” टक्कर मारने वाले ने क्या कहा, “फकीर साईं! लालटेन।” तुम्हारा बुझ गया। बुझ जाने के कारण तुम मेरे सामने प्रकट नहीं हुए और मैं हैरान हूं।”
वह कहता है, “समझ गया।”
अब बुझी हुई लालटेन को देखने के लिए भी आँखों को रोशनी चाहिए, अँधेरे को देखने के लिए आँखों को भी रौशनी चाहिए। अपने अज्ञान को देखने के लिए भी कुछ ज्ञान चाहिए। पहले ज्ञान पर पता चलता है कि मैं अज्ञानी हूँ, नहीं-मैं समझता हूँ , मुझे कुछ नही आता।
धन्य गुरु नानक देव जी ने एक महान राष्ट्रीय नाम ‘सिख’ दिया है। मरते दम तक सीखते रहो, बहुत कुछ सीखना है, जीवन बहुत छोटा है। जीवन भले ही समाप्त हो जाए, फिर भी बहुत कुछ सीखना बाकी है। गर्व को अपने अंदर रखो। मैं मैं एक सिक्ख हूँ, मैं सीखना चाहता हूँ, मैं जानना चाहता हूँ। जितना वह जान कर जानता है, वह समुद्र में पाई जाने वाली पानी की एक बूंद के समान होगा। उससे अधिक नहीं। ज्ञानी संत सिंह जी मस्किन की वॉल से
सिख न्यूज इंटरनेशनल