हरी सिंह नलवा सिख योद्धा

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हरी सिंह नलवा का किरदार अगर हमारे लिये मार्गदर्शक ना बने तो काहे का हमारा सुनहरी इतिहास
खैबर दर्रे के बादशाह नासिर के बेटे गुलफाम की मंगेतर ने जब हरी सिंह नलवा की बहादुरी की बात सुनी ओर गुलफाम जो बहुत बहादुर था उसे डरते देखा
तो उसने कहा कि गर हरि सिंह नलवा तेरे से ज्यादा बलवान ओर बहादर है तो मै उससे जरुर मिलुंगी
वो हरि सिंह नलवा के दरबार मे जाती है कुछ सवाल पुछती है जवाब भी पाती है
आखिरी सवाल मे वो पुछती है कि मै चाहती हु कि मेरा बच्चे तेरे जैसा हो
हरी सिंह ने कहा कि खुदा से दुया करा कर कि बच्चा जैसा भी हो अच्छे किरदार वाला हो
उसने कहा कि तुम समझे नही
मै चाहती हु कि तुम मेरे साथ निकाह करो
हरी सिंह ने गुस्से से कहा कि यहा से बाहर निकल जायो
जाते समय उसने कहा कि मैने सुना था गुरु नानक के घर से कोई खाली नही जाता
पर
ये सुनते ही हरी सिंह कोम का जरनैल एक चादर उठाता है
ओर उस मोहञमा के सिर पर डाल देता है
साथ कहता है कि तेरी खवाहिश पुरी हुई
तु आज से मेरी मा है
ओर तेरे पुञ का नाम हरी सिंह नलवा है
ये था हरी सिंह नलवा का किरदार
इतिहास है पढो
sukhpreet Singh udokay की वॉल से
सिख न्यूज इंटरनेशनल

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